Is Corona better than Quarantine Center ? क्वारंटाईन सेंटर से अच्छा है कोरोना
क्वारंटाईन सेंटर से अच्छा है कोरोना
लोगों में मौत से अधिक क्वारंटाईन होने का डर
नाशिक (वसीम रज़ा खान)
कोरोना विषाणु से ग्रस्त हुए मरीज़ के वह करीबी लोग या रिश्तेदार जिन्हें क्वारंटाइन केंद्रों में रखा गया है उन्होंने शिकायत की है कि क्वारंटाईन केंद्रों में लापरवाही खुलेआम की जा रही है. 4/4 दिन स्वॅब लेने के लिये कोई नहीं आता. समय पर खाना, नाश्ता नहीं दिया जाता, स्वच्छता नाम की तो कोई चीज़ ही क्वारंटाईन सेंटरों में नहीं दिखाई दे रही है. सोने के लिये अच्छे बेड नहीं हैं. कहनों को तो क्वारंटाईन में Negative
लोगों को रखा जाता है लेकिन उनकी हालत उन मरीज़ों से भी बुरी कर दी जाती है जो सरकारी अस्पतालों में कोरोना की महामारी से लड रहे हैं. लोगों को कोरोना ना होकर भी क्वारंटाईन में उन्हें मरने के लिये छोड दिया जाता है. एैसी भावना एक क्वारंटाइ हुए व्यक्ती ने व्यक्त की है.
रोज कोरोना मरीजों की संख्या सैकडों के आंकडे में बढ रही है. बाधित
(Positive) मरीजों के संपर्क में आए उसके रिश्तेदारों और संबंधितों की जानों से खेल हो रहा है. स्वास्थ यंत्रणा कोरोना के मरीजों के रिश्तेदारों और उनके संपर्क में आए जोगों को क्वारंटाईन करती है. उसके बाद उनके साथ छलकपट शुरु होता है. नाशिक में मरीजों से संपर्क में आने वालों को समाजकल्याण के आवास में रखा गया है जिसे मनपा प्रशासन ने क्वारंटाईन सेंटर बना दिया है. लोगों को भरती करने के बाद 4/5 दिनों तक यहां कोई भी डॉक्टर या स्वास्थ कर्मी नहीं आया. वार्ड में बेड भंगार में से लाए गए हैं. बिजली और पानी की सुविधा नहीं है. 2 दिन में एक बार खाना आता है. एक ही बार में खाकर 2 दिनों की भूख मिटानी पडती है. एैसी और भी कई प्रकार की समस्याओं का सामना यहां के क्वारंटाइन के मरीज़ कर रहे हैं.
मरीजों को क्वारंटाईन तो किया गया है लेकिन उनका स्वॅब नहीं लिया जा रहा है. एैसे में Negative
आए लोगों को घर जाने की अनुमती भी नहीं दी जा रही है. पूछे जाने पर जवाब मिलता है कि जबतक स्वॅब की रिपोर्ट नहीं आती तबतक घर नहीं जासकते. लेकिन स्वॅब लिया जाएगा तभी तो रिपोर्ट आऐगी. क्वारंटाईन केंद्रों में सभी Positive
मरीजों के संपर्क में आए लोग हैं. सबको एक साथ रखा गया है. उनमें से एक भी कोरोना Positive
हुआ तो संसर्ग तो सभी लोगों में होगा. स्वास्थ प्रशासन घोडो गधों को एक ही लाठी से हांक रहा है. एैसे में कहा जा सकता है कि क्वारंटाईन सेंटर लोगों की जान से खेलने का मैदान बना दिया गया है.
यहां भरती लोगों का कहना है कि हमारा स्वास्थ एकदम ठीक है लेकिन इस प्रकार रहने से लगता है कि जल्द ही बीमार हो जाऐगे. कहते हैं रोग प्रतिकारक शक्ती बढने से कोरोना नहीं होता. लेकिन 2/2 दिन खाना नहीं मिलेगा तो रोक प्रतिकारक शक्ती तो जितनी है उतनी भी मर जाएगी और लोग भूख से ही मरने लगेंगे. इस प्रकार क्वारंटाईन होने से तो अच्छा है कि कोरोना ही हो जाता, एैसा विचार यहां भरती एक महिला ने व्यक्त किया.
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