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Maharashtra me sailab ka khatra महाराष्ट्र को भी बाढ का खतरा

महाराष्ट्र को भी बाढ का खतरा , भिगा रहेगा नाशिक जिला


किसान को बचाव के लिए क्या करना चाहिए?

(वसीम रज़ा खान

हरसाल की तरह इस बार सावन की बरसात हलकी नही बल्की जोरदार होगी और महाराष्ट्र में जलव्यवस्थापन एवम आपदा प्रबंधन के उपाय सही से नही किये गए तो भयानक बाढ का खतरा है. मुंबई, नाशिक, गोवा के साथ विदर्भ, दक्षिण महाराष्ट्र, कोकन किनारपट्टी आदी क्षेत्र मेंबरकरार है ऐसे अनुमान कि जानकारी मौसम विज्ञानी प्रोफेसर किरनकुमार जोहरे ने नवभारत विशेष संवाददाता को दि है. इसके साथ साथ मराठवाडा, उत्तर और पश्चिम महाराष्ट्र के क्षेत्रो में भी रेकॉर्ड तोड बारीश इससाल देखने को मिल सकती है और बादल फटने कि मतलब 100 मिलीमिटर प्रतीघंटा दर से बारिश भी हो सकती हैगौरतलब है की भले ही मौसम विज्ञान विभाग ने बिना बरसात का मान्सून आने की जानकारी दि हो मौसम विज्ञानी प्रोफेसर किरनकुमार जोहरे का वैज्ञानिक दावा है की यह मान्सून नही बल्की पुर्व मान्सून की वर्षा है. इसका वैज्ञानिक कारण भी प्रोफेसर जोहरे के पास है और उनका कहना है की क्युमोलोनिंबस बादल के चमकने वाली आसमानी बिजली, बादलों के अलग अलग दिखाई देने वाले पॅचेस या झुंड, धूपछाव का खेल यह यह सब मान्सून के नही बल्की पुर्व मान्सून के स्पष्ट लक्षन है जिसका जिक्र बहुत सारी वैज्ञानिक शोधपत्रिका एवम रिसर्च पेपर में आमतौर पर देखा कोई भी व्यक्ती देख सकता है.

किसान को बचाव के लिए क्या करना चाहिए

- महाराष्ट्र में मान्सून की बारिश 23 जुलाई के बाद ही शुरू होगी

- किसानों ने बारिश की हालत देखकर अपने इलाखे मे होनी वाली बारीश, उपलब्ध पानी की मात्रा, खेत की जमीन इसके अनुसार देशी बिज और प्राकृतिक खतों ककाअपने क्षेत्र में वर्षा का अनुपात, उपलब्ध जलसंसाधन, और जमीन के अनुसार स्वदेशी बीज, प्राकृतिक उर्वरक, बहु-फसल (Multi-Crop Method) पद्धती का उपयोग करना चाहिये.

- खेतों मे जलभराव रोकने हेतू से जलनिकास के लिए अभी से तयारी शुरू करें और वह पानी अपने बावडी या कुए में जमा करें

- हालात के आगे घुटने टेकने हुए सबसे पहिले किसान नुकसान को कम करने के लिए कोशिश के लिए कदम उठायें

- डरें नही, हालात का मिलजुलकर डटकर मुकाबला करें

- किसानों से कपास, सोयाबीन और मक्के की खेती करते हुए गंभीरता से विचार करने की तथा कुछ और पर्याय को भी तवज्जो देने की अपील है.

चेतावनी :

- इससाल बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, ओरिसा, मध्ये प्रदेश, ईशान्य राज्यों के साथ साथ महाराष्ट्र में भयंकर मुसलाधार  वर्षा होने कि संभावना.

- इसबार पिछले साल के तुलना में इस साल रेकॉर्ड तोड बारीश होगी

- बादल फटना (जिसे फ्लॅशफ्लड भी कहते है) की घटनायों मे इजाफा

- देरी से शुरू होते हुए देरी से खत्म होने के कारन जानमाल का जादा नुकसान हो सकता है.

क्योंहो रहा है यह सब, जोहरे ने दिये कया वैज्ञानिक कारन

- पिझले बीस साल मे भारते मान्सून का पॅटर्न बेहद बदल गया है

- भारत के साथसाथ दुनियाभर में लाॅकडाउन का वातावरण के जमिन से 15 किलोमीटर उंचाई तक गहरा असर

- प्रदूषण घटने से सूरज केकि किरने धरतीतक जाद पहूंचने से वातावरण में जादा अस्थिरता

- परीणाम स्वरूप क्युमोलोनिंबस बादलों का निर्माण, पुर्व मान्सून बरसात, आसमानी बिजली गिरने से कई राज्यों में जादा मौते और मान्सून आने में देरी.

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